आधुनिक भारत के मूर्धन्य विचारक, एकात्ममानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा के जनक और अंत्योदय के प्रणेता हमारे पथ प्रदर्शक प. दीन दयाल जी की जयंती पर उन्हें शत – शत नमन।
पं. दीनदयाल उपाध्याय जी एक ऐसे युगद्रष्टा थे जिनके द्वारा बोये गए विचारों और सिद्धांतों के बीज ने देश को एक वैकल्पिक विचारधारा देने का काम किया। उनकी विचारधारा सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए थी और भारत को उसके गौरव पर पुनर्स्थापित करने के लिए थी।
उनका मानना था जब तक हम समाज के गरीब-से-गरीब व्यक्ति तक विकास नहीं पहुंचाते, तब तक देश की स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं। यह उनके तपस्यापूर्ण जीवन और विचार-शक्ति का ही असर था कि न जाने कितने राष्ट्रभक्तों ने जीवन के सभी सुखों को त्याग देश सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
आइये आज इस दिवस पर संकल्प लें कि किसी न किसी एक गरीब का उत्थान करेंगे, किसी छात्र की शिक्षा में सहयोग करेंगे, अन्त्योदय के सिद्धान्त को अपनाएंगे और उनके एकात्म मानववाद के दर्शन को आगे बढ़ाएंगे।
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